यह श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा के बारे में संक्षेप में जानकारी है:
श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा
श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में क्यों:
भगवान कृष्ण के विशेष रूप, विशेषकर श्रीनाथजी के साकार रूप के लिए समर्पित है। यह मंदिर भक्तों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो पुष्टिमार्ग परंपरा का पालन करते हैं। श्रीनाथजी की मूर्ति को मुघल संग्रहालय के खिलाफ सुरक्षित करने के लिए नाथद्वारा में लाया गया था।
श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में कब :
मंदिर का इतिहास 17वीं सदी के आस-पास है। कहा जाता है कि श्रीनाथजी की मूर्ति को 1672 में नाथद्वारा में स्थापित किया गया था। नाथद्वारा का नामकरण मेवाड़ के महाराणा राज सिंह ने किया था ताकि देवता को सुरक्षित रखा जा सके।
श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में क्या:
– श्रीनाथजी की मूर्ति: मुख्य देवता भगवान कृष्ण के बालरूप का प्रतिष्ठान है, जो अपने बायां हाथ में गोवर्धन पर्वत को और दायां हाथ को ऊपर उठाए हुए हैं। मूर्ति को विभिन्न परिधानों से सजाया जाता है और मंदिर विभिन्न दर्शन कालों का पालन करता है, जिसमें श्रीनाथजी के दैहिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को दिखाया जाता है।
– पिच्छवाई पेंटिंग्स: मंदिर पिच्छवाई पेंटिंग्स के लिए प्रसिद्ध है, जो भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं को बताती हैं। ये पेंटिंग्स दैनिक रूप से बदलती हैं, जो मंदिर को एक दृढ़ और दृश्यमय वातावरण प्रदान करती हैं।
– भक्तिपूर्ण प्रथाएं: भक्तगण विभिन्न रूपों में पूजा का अनुसरण करते हैं, जिसमें ‘प्रसाद’ की प्रस्तुति और विभिन्न रिति-रिवाज़ों और त्योहारों में भाग लेना शामिल है। मंदिर का एक विशेष पूजन पद्धति है जिसे पुष्टिमार्ग परंपरा कहा जाता है, जो प्रेम और भक्ति पर बल देती है।
– नाथद्वारा शहर: मंदिर के अलावा, नाथद्वारा अपने पिच्छवाई पेंटिंग्स और टेराकोटा आइटम्स सहित पारंपरिक कला के लिए जाना जाता है। यह शहर दर्शकों और पर्यटकों को एक दिव्य और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने के लिए आकर्षित करता है।
– श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा आज भी भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण केंद्र है, जो दुनियाभर से भक्तों और कला प्रेमियों को आकर्षित करता है।